यूक्रेन में भारतीय छात्रों की स्तिथि के लिए रही है पूर्व की सरकारों की शिक्षा नीति ज़िम्मेदार – मनीष सिन्हा

यूक्रेन रूस युद्ध के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में वहाँ फँसे हज़ारों छात्रों को बचाने का मिशन गंगा ज़ोर शोर से चल रहा है। प्रधानमंत्री मोदी रूस के राष्ट्रपति व्लामादीर पूतिन व उक्रैनी राष्ट्रपति वलोडिमिर जेलेंसकी से भारतीय छात्रों की सुरक्षा व भारत प्रत्यर्पण पर लगातार चर्चा कर रहें हैं व दोनों राष्ट्रपतियों से भारतीय छात्रों की सुरक्षा का आश्वासन मिला और इसका असर भी देखने को मिल रहा है। दोनों के पड़ोसी मुल्क भी भारत का सहयोग कर रहें हैं और रोज़ाना सैकड़ों छात्र भारत लाए जा रहे हैं।

वर्तमान युद्ध की स्थिति में भारतीय छात्रों पर जो ख़तरा मंडराया है इसके लिए पिछले 7 दशकों में सबसे ज़्यादा सत्ता में रहने वाली कांग्रेसी सरकार ज़िम्मेदार है। भारत की शिक्षा व्यवस्था को धीरे धीरे बर्बाद व विदेशी शिक्षा को महत्व व प्रोत्साहन कांग्रेस सरकार की ख़राब नीतियों के कारण हुआ। देश की आज़ादी के बाद कुछ सांकेतिक व अच्छे संस्थान देश में खुले परंतु उनमें सीटों की संख्या ज़रूरत के हिसाब से नहीं बढ़ाई गई व देश की ज़रूरत के हिसाब से राज्यों में नए यूनिवर्सिटी व कॉलेज भी नहीं खोले गए है। साल दर साल कांग्रेस की नीतीयों ने विभिन्न राज्यों से शानदार सरकारी कॉलेज की स्थिति भी जर्जर कर दी।

आज भारत की आकांक्षाएँ बढ़ी हैं, हर युवा बेहतर शिक्षा प्राप्त कर शानदार जीवन जीना चाहता है। देश के युवाओं की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए यूनिवर्सिटी व कालेजों में पर्याप्त सीटें नहीं है। प्राइवेट कालेज की संख्या भी बेहद कम है जिससे उनके बीच उतनी प्रतिस्पर्धा नहीं हैं जिससे माध्यम वर्ग के लिए फ़ीस उपयुक्त हो। इन्हीं मूल कारणों की वजह से भारत के 11 लाख से अधिक छात्र विदेशों में जाकर शिक्षा ग्रहण करते हैं। इसके कारण ना सिर्फ़ भारत को बड़ी संख्या में बुद्धिमान छात्रों का नुक़सान हो रहा है बल्कि फीस आदि के नाम पर देश के धन भी बाहर जा रहा है ।

2014 से पूर्व भारत में मेडिकल कॉलेजों में संख्या सीमित रखी गई थी व नए कॉलेज भी नहीं खोले गए। जिससे यूक्रेन और फिलीपींस जैसे देशों में भारत के छात्र मोटी फीस देकर औसत शिक्षा लेने के लिए मजबूर किए गए।
प्रधानमंत्री मोदी ने पीएम बनने के बाद इस ओर ख़ास ख्याल रखा है ।

वर्ष 2014 से पूर्व भारत में 387 मेडिकल कॉलेज थे आज इनकी संख्या 600 पहुंच चुकी है, 70 सालों में 387 और 7 साल के प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में 220 से अधिक नए मेडिकल कॉलेज खोले गए हैं। 2014 से पूर्व पूरे देश में मेडिकल की 82 हजार सीटें थीं आज सीटों कि संख्या 1.48 लाख के पार चली गई हैं यानी 66 हजार नई सीटें केवल सात साल में बढ़ी हैं। देश में आज 6 एम्स कार्य कर रहे हैं जल्द ही यह संख्या 22 होने वाली है।
प्रधानमंत्री मोदी ने देश के नॉर्थ ईस्ट हिस्से के छात्रों के बेहतर भविष्य के लिए उन राज्यों में 2014 के बाद 22 से ज़्यादा यूनिवर्सिटियों की स्थापना की। नॉर्थ ईस्ट व लद्दाख में 2014 के बाद ही पहली सेंट्रल यूनिवर्सिटी खोली गई है।
देश में 2014 से पूर्व केवल 16 आईआईटी थे, आज 23 हो गई है। 70 सालों में केवल 13 आईआईएम सरकार खोल पाई थी आज उनकी संख्या 20 पहुंच चुकी है। 2014 तक देश में 36,634 कॉलेज थे, आज इनकी संख्या 42,343 हो गई है। यानी 2014 के बाद देश में प्रतिदिन 2 नए कॉलेजों कि स्थापना हुई है।
इन सार्थक प्रयासों के कारण उच्च शिक्षा में आज छात्रों की संख्या में बड़ा उछाल आया है। जहां 2014 – 2015 में 3.45 करोड़ छात्र उच्च शिक्षा प्राप्त कर रहे थे आज यह संख्या बढ़ कर 3.85 करोड़ पहुंच चुकी है ।

भारत पहली फोरेंसिक, रेल व ट्रांसपोर्ट यूनिवर्सिटी की भी स्थापना प्रधानमंत्री द्वारा कि गई हैं। इन सार्थक प्रयासों की वजह से 71 से अधिक भारतीय यूनिवर्सिटियों को वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग में जगह मिली है। छोटे शहरों, जिला में नए यूनिवर्सिटी, कॉलेज खुलने के कारण आज देश में बेटियों का रुझान भी उच्च शिक्षा की तरह बढ़ा है। पहले जहां केवल 39% बच्चियां उच्च शिक्षा में नामांकन कराती थीं आज यह 52% पर पहुंच चुकी है।

यूक्रेन व रूस जैसे कारण लगातार पनप सकते हैं, जिससे देश के लोगों की सुरक्षा का डर बना रह सकता है। केंद्र सरकार जल्द से जल्द अपने बच्चों व नागरिकों को इन युद्ध की स्तिथि के बीच वहां से निकाल कर लाना चाहिए। साथ ही हमें हमेशा यह भी ख्याल करना चाहिए वे वहां क्यों गए जहां ना हमारी भाषा है ना ही हमारे लोग हैं। हमारे बच्चे लाखों रुपए खर्च कर यूक्रेन जैसे मुल्क में रहने को क्यों मजबूर हैं? जहां की शिक्षा भी औसत है, इस स्थिति के लिए पूर्व की सरकारों की कौन सी नीति ज़िम्मेदार है? इन सारे सवालों पर जब हम गहन विचार करेंगे तो हम जान पाएंगे युद्ध में हमारे बच्चे अचानक नहीं फंसे हैं। हमारे बच्चों को मजबुर किया जाता रहा है कि वह ऐसे दूरगामी देशों में रहकर अपने जीवन के महत्वपूर्ण वर्ष औसत शिक्षा के लिए लाखों – करोड़ों खर्च करें।
मेक इन इंडिया के साथ साथ पीएम मोदी चुपचाप स्टडी इन इंडिया पर भी कार्य कर रहें हैं और जल्द ही परिवर्तन भी हमें देखने को मिलने लगा है। विदेश जाकर शिक्षा प्राप्त करने में 52% से अधिक की गिरावट आ चुकी है। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में देश सही राह पर है और देश को शिक्षा का केंद्र पूरे विश्व के लिए बनाया जा रहा है और पुनः हम शिक्षा के लिए विश्व केंद्र बनेंगे। जहां देश के शत प्रतिशत छात्रों के साथ ही विदेशों के भी लाखों छात्रों को यहां गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिल पाएगी।

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